उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने शिक्षक बनने का ख्वाब देख रहे युवकों को राहत देते हुए सरकार को 2० अक्टूबर तक प्राथमिक शिक्षकों के 451 पदों के लिये जल्द ही नयी भतीर् प्रक्रिया शुरू करने के निदेर्श दिये हैं। यह भतीर् 2245 पदों की भतीर् प्रक्रिया से अलग होगी।
मुख्य न्यायाधीश आरएस चौहान व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वमार् की युगलपीठ ने समाजसेवी अनु पंत की ओर से दायर जनहित याचिका की सुनवाई के बाद बुधवार को ये निदेर्श जारी किए हैं।
शिक्षा सचिव राधिका झा आज अदालत में पेश हुई। उन्होंने अदालत को बताया कि शिक्षकों की भतीर् प्रक्रिया से वंचित अभ्यर्थियों को परीक्षा में शामिल करना मुश्किल है। कोरोना महामारी के लंबे अवकाश के बाद प्रदेश में स्कूल खुल गये हैं। विधानसभा चुनावों के चलते कुछ ही महीनों बाद प्रदेश में चुनाव आचार संहिता लागू हो जायेगी। शिक्षक भतीर् प्रक्रिया की अंतिम तिथि को बढ़ाना उचित नहीं है।
शिक्षा सचिव की ओर से अदालत को यह भी बताया गया कि प्रदेश में शिक्षकों के 451 पद रिक्त हैं। सरकार आने वाले समय में इन पदों को भरने के लिये प्रक्रिया शुरू कर सकती है। इसके बाद अदालत ने सरकार को इन पदों को भरने के लिये 2० अक्टूबर तक प्रक्रिया शुरू करने को कहा है।
इससे पहले याचिकाकतार् की ओर से कहा गया कि प्रदेश सरकार की ओर से दिसंबर, 2०2० में प्राथमिक शिक्षकों के 2248 पदों को भरने के लिये भतीर् प्रक्रिया आरंभ की गयी है लेकिन कोरोना महामारी के चलते सीटीईटी का परीक्षा परिणाम देर से आने वाले हजारों छात्र भतीर् प्रक्रिया से वंचित हो गये हैं। इसमें वही छात्र शामिल हो सकते हैं जिनके पास दिसंबर, 2020 से पहले का सीटीईटी का प्रमाण पत्र है।
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