मुंबई
एयर इंडिया एक्सप्रेस ने अपने फर्स्ट ऑफिसर्स को पायलट-इन-कमांड को ‘सर’ के रूप में नहीं, बल्कि उनके पहले नाम से या केवल “कैप्टन” के रूप में संबोधित करने का निर्देश दिया है। इस संबंध में ऑपरेशन सर्कुलर शुक्रवार को जारी किया गया। सर्कुलर में अक्टूबर 2018 में त्रिची दुर्घटना का उल्लेख किया गया है। इस दुर्घटना में एयर इंडिया एक्सप्रेस के एक विमान ने पीछे की तरफ से जमीन पर टकरा गया था। दुबई के लिए उड़ान भरने से पहले इस प्लेन ने एयरपोर्ट की चारदीवारी को भी तोड़ दिया था।

एयरक्राफ्ट एक्सिडेंट इन्वेस्टिगेशन ब्यूरो की तरफ से पिछले महीने इस दुर्घटना की फाइनल जांच रिपोर्ट जारी की गई थी। इसके अनुसार, ट्रिगर टेक ऑफ रोल के दौरान कमांडर की सीट का अचानक और अप्रत्याशित रूप से झुकना था। जैसे ही सीट झुकी, कमांडर ने अनजाने में थ्रस्ट लीवर को वापस खींच लिया। इससे इंजनों की पॉवर कम हो गई। रिपोर्ट में कहा गया है कि दोनों पायलटों ने फॉल इन थ्रस्ट रिकॉर्ड नहीं किया। इसके बदले सुधारात्मक कार्रवाई की। रिपोर्ट में कहा गया है कि यह चालक दल के बीच कोऑर्डिनेशन की कमी और कम्युनिकेशन का फेल होना रहा।

एयर इंडिया की तरफ से पायलट-इन-कमांड को उनके पहले नाम या कैप्टन कह कर बुलाए जाने वाले सर्कुलर में कहा गया है कि कॉकपिट रिसोर्स मैनेजमेंट (CRM) में सुधार के लिए यह प्रस्तावित है। सीआरएम में मल्टी-क्रू कॉकपिट कम्यूनिकेशन प्रोसेस भी शामिल है। इसमें माना गया कि कॉकपिट में एक अनौपचारिक माहौल की जरूरत है। यह एक पीढ़ी और संस्कृति बदलाव हो सकता है और इसका रिजल्ट आने में समय लग सकता है।

एयर सेफ्टी एक्सपर्ट कैप्टन अमित सिंह ने कहा कि भारतीय संस्कृति में, किसी सीनियर को उसके पहले नाम से बुलाना आम तौर पर अच्छा नहीं माना जाता है। खासकर एयर इंडिया एक्सप्रेस जैसे संगठनों में। एक 55 वर्षीय पूर्व-इंडियान एयरफोर्स का कमांडर यह पसंद नहीं करेगा कि एक 25 वर्षीय सह-पायलट उसे उसके पहले नाम से बुलाए। यह एक बड़ा बदलाव है लेकिन PIC को ‘कैप्टन’ कहना कारगर होगा। इसके लिए पूरे ऑर्गनाइजेशन के कल्चर को बदलना होगा।